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डायबिटीज का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: अवसाद का बढ़ जाता है खतरा

 

डायबिटीज यानी मधुमेह केवल एक शारीरिक बीमारी नहीं है, यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल सकती है। लंबे समय तक ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर शरीर की नसों, आंखों, किडनी और हृदय के साथ-साथ मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, हाई ब्लड शुगर से जूझ रहे लोगों में तनाव (Stress) और अवसाद (Depression) जैसी मानसिक समस्याएं होने का जोखिम अधिक होता है।

डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध

हाल के अध्ययनों से यह सामने आया है कि जिन लोगों को लंबे समय से डायबिटीज है, उनमें मानसिक तनाव और अवसाद की संभावना दोगुनी हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, डायबिटीज से पीड़ित लगभग 40% लोग यह मानते हैं कि डायग्नोसिस के बाद से उन्हें मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर लोग डायबिटीज के शारीरिक असर को तो गंभीरता से लेते हैं, लेकिन इसके मानसिक प्रभावों की अनदेखी कर देते हैं, जो स्थिति को और खराब कर सकती है।

क्या डायबिटीज से डिप्रेशन होता है?

डॉक्टरों के अनुसार, डायबिटीज सीधे तौर पर अवसाद का कारण नहीं बनती, लेकिन इससे जुड़ी परेशानियां जैसे दवा लेना, खानपान में बदलाव, शारीरिक सीमाएं और लगातार शुगर मॉनिटरिंग से व्यक्ति मानसिक रूप से थक सकता है। इस थकान और निराशा से डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।

सिर्फ इतना ही नहीं, शोधों में यह भी देखा गया है कि डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ जाती है। यानी यह रिश्ता दो तरफा हो सकता है।

शोध में क्या सामने आया?

एक अध्ययन में यह पाया गया कि डिप्रेशन से शरीर का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) बढ़ सकता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा और भी बढ़ता है। शोधकर्ताओं ने सात ऐसे आनुवंशिक बदलाव (Genetic Variants) की पहचान की है, जो इंसुलिन उत्पादन और मस्तिष्क व अग्न्याशय में सूजन जैसी समस्याओं से जुड़े हैं। ये जीन अवसाद और डायबिटीज दोनों में भूमिका निभा सकते हैं।

अवसाद के लक्षण, जो डायबिटीज को और बिगाड़ सकते हैं:

लगातार और लंबे समय तक उदास या खालीपन महसूस करना

नींद में गड़बड़ी – बार-बार जागना या ज्यादा देर तक सोते रहना

भूख का कम या ज्यादा लगना

किसी काम में रुचि न रहना

थकान या ऊर्जा की कमी

आत्मविश्वास में कमी या खुद को दोष देना

जब मानसिक स्थिति बिगड़ती है, तो लोग अपने शुगर लेवल की निगरानी, दवाओं का सेवन और हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखने में लापरवाही कर सकते हैं, जिससे डायबिटीज और खराब हो सकती है।

क्या करें?

मेंटल हेल्थ की नियमित जांच करवाएं, खासकर अगर आप लंबे समय से डायबिटीज से जूझ रहे हैं।

योग, ध्यान और फिजिकल एक्टिविटी को दिनचर्या में शामिल करें।

परिवार और दोस्तों से बातचीत करते रहें, अकेले न रहें।

जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक या काउंसलर से सलाह जरूर लें।

निष्कर्ष:

डायबिटीज केवल शरीर की बीमारी नहीं है, यह दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि डायबिटीज से जूझ रहे लोग अपनी मानसिक सेहत पर भी उतना ही ध्यान दें जितना कि शारीरिक सेहत पर। जागरूकता और सही समय पर इलाज से आप दोनों ही समस्याओं पर बेहतर नियंत्रण पा सकते हैं।

नोट: यह लेख डॉक्टरों, विशेषज्ञों और अकादमिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी पाठकों की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से साझा की गई है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।